New Delhi : पुरी के प्रसिद्ध Jagannath mandir का ‘रत्न भंडार’ 46 साल बाद आखिरकार खुल गया है। भगवान जगन्नाथ के आभूषणों और मूल्यवान वस्तुओं की सूची बनाने और भंडार गृह की मरम्मत के लिए इस भंडार को खोला गया है। ओडिशा हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश समेत 11 लोगों की मौजूदगी में यह ऐतिहासिक कदम उठाया गया। आइए जानते हैं इस घटना के बारे में विस्तार से।
रत्न भंडार की पृष्ठभूमि
Jagannath mandir का निर्माण 12वीं शताब्दी में हुआ था और यह चार धामों में से एक है। इस मंदिर में स्थित रत्न भंडार में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के गहने रखे गए हैं। आखिरी बार इसे 14 जुलाई 1985 में खोला गया था, जिसके बाद इसे कभी नहीं खोला गया। 1978 में खजाने के सामानों की आखिरी सूची बनाई गई थी, जिसमें सोना, चांदी, हीरा, मूंगा और अन्य आभूषण मिले थे।
46 साल बाद खोला गया रत्न भंडार
रत्न भंडार को 46 साल बाद खोला गया है। इस अवसर को चिह्नित करते हुए मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक बयान जारी किया, जिसमें लिखा गया, “भगवान जगन्नाथ की इच्छा पर, ‘उड़िया अस्मिता’ की पहचान के साथ उड़िया समुदाय ने आगे बढ़ने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। आपकी इच्छा पर, पहले भी Jagannath mandir के चारों द्वार खोले गए थे। आज, आपकी इच्छा से 46 साल बाद एक बड़े उद्देश्य के लिए रत्न भंडार खोला गया।”
क्या मिला रत्न भंडार में?
रत्न भंडार में भगवान जगन्नाथ को चढ़ाए गए बहुमूल्य सोने और हीरे के आभूषण पाए गए हैं। ओडिशा पत्रिका के अनुसार, ओडिशा के राजा अनंगभीम देव ने भगवान के लिए आभूषण तैयार करने के लिए 2.5 लाख माधा सोना दान किया था। रत्न भंडार के दो कक्ष हैं- भीतरी भंडार (आंतरिक खजाना) और बाहरी भंडार (बाहरी खजाना)। बाहरी खजाने में भगवान जगन्नाथ का सोने का मुकुट, तीन सोने के हार (हरिदाकंठी माली) हैं, जिनमें से प्रत्येक का वजन 120 तोला है। भीतरी खजाने में करीब 74 सोने के आभूषण हैं, जिनमें से प्रत्येक का वजन 100 तोला से अधिक है। इसके अलावा सोने, हीरे, मूंगा और मोतियों से बनी प्लेटें भी पाई गई हैं।
रत्न भंडार को इससे पहले 1905, 1926 और 1978 में खोला गया था. साल 2018 में तत्कालीन कानून मंत्री प्रताप जेना ने ओडिशा विधानसभा में बताया था कि रत्न भंडार में 12,831 भरी से ज्यादा सोने के जेवर हैं। इनमें कीमती पत्थर लगे हैं. साथ ही 22,153 भरी चांदी के बर्तन और अन्य सामान हैं। आपको बता दें कि एक भरी 11.66 ग्राम के बराबर होता है। आपको बता दें कि ओडिशा विधानसभा चुनाव में रत्न भंडार को खोले जाना बड़ा मुद्दा था। भाजपा ने वादा किया था कि सरकार बनने के बाद इस खजाने को खोला जाएगा।
सुरक्षा और निगरानी
श्री Jagannath mandir प्रशासन के मुख्य प्रशासक अरबिंद पाधी ने कहा कि रत्न भंडार के भीतरी और बाहरी कक्षों में रखे गए आभूषण और अन्य मूल्यवान वस्तुओं को लकड़ी के संदूकों में बंद कर अस्थायी सुरक्षित कमरे में रखा जाएगा। अस्थायी सुरक्षित कमरे की पहचान कर ली गई है और वहां सीसीटीवी कैमरे लगाने सहित सभी आवश्यक व्यवस्थाएं भी की गईं हैं। उन्होंने कहा, “वस्तुओं की सूची तैयार करने का काम आज शुरू नहीं होगा। यह कार्य मूल्यांकनकर्ताओं, सुनारों और अन्य विशेषज्ञों को नियुक्त किए जाने पर सरकार की मंजूरी मिलने के बाद किया जाएगा। हमारी पहली प्राथमिकता रत्न भंडार की संरचना की मरम्मत करना है।”
सांपों की सुरक्षा टीम
रत्न भंडार खोलने के दौरान सांपों की मौजूदगी की आशंका के चलते सरकार ने मंदिर में सांपों को पकड़ने और बचाने में विशेषज्ञता रखने वाली स्वैच्छिक इकाई स्नेक हेल्पलाइन के 11 सदस्यों को तैनात किया। इकाई के तीन सदस्य किसी भी आपात स्थिति से निपटने और इसमें प्रवेश करने वालों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए रत्न भंडार के बाहर पहरा दे रहे थे। पुरी जिला मुख्यालय अस्पताल को एंटीवेनम स्टॉक में रखने के लिए कहा गया था। हालांकि, रत्न भंडार में कोई सांप नहीं मिला। स्नेक हेल्पलाइन के महासचिव शुभेंदु मलिक ने कहा, “हम अपने उपकरणों के साथ पूरी तरह तैयार थे। हालांकि हमारी सेवाओं की आवश्यकता नहीं थी क्योंकि रत्न भंडार में कोई सांप नहीं मिला।”
भविष्य की योजना
श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन ने रत्न भंडार की संरचना की मरम्मत के बाद कीमती सामानों की सूची तैयार करने की योजना बनाई है। ओडिशा हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति बिश्वनाथ रथ को सरकार ने कीमती सामानों की निगरानी सुनिश्चित करने का दायित्व सौंपा है। सरकार ने उन्हें इसके लिए गठित समिति का प्रमुख बनाया है। रथ ने कहा, “रत्न भंडार के खुलने से पहले अनावश्यक प्रचार और दहशत पैदा की गई थी।”