प्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा का 86 वर्ष की आयु में निधन, पूरे देश में शोक की लहर
भारत के प्रमुख उद्योगपति और टाटा सन्स के चेयरमैन एमेरिटस, रतन टाटा का 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके निधन की खबर ने देश भर में शोक की लहर दौड़ा दी है। कुछ दिनों पहले ही रतन टाटा ने अपने स्वास्थ्य को लेकर उठी अफवाहों को खारिज करते हुए सोशल मीडिया पर एक संदेश जारी किया था, जिसमें उन्होंने बताया था कि वे केवल उम्र से जुड़ी नियमित जांच करवा रहे हैं। हालांकि, अब उनके असमय निधन ने उद्योग जगत और पूरे देश को गहरे दुख में डाल दिया है।
रतन टाटा का जन्म 1937 में हुआ था और उनका पालन-पोषण उनकी दादी नवाजबाई टाटा ने किया था। उनके माता-पिता का 1948 में तलाक हो गया था। रतन टाटा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के प्रतिष्ठित कैथेड्रल एंड जॉन कॉनन स्कूल से प्राप्त की और उसके बाद अमेरिका की कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से वास्तुकला की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से प्रबंधन की पढ़ाई की। उनकी शिक्षा और दृष्टिकोण ने उन्हें एक दूरदर्शी नेता बनाया, जिसने टाटा समूह को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
रतन टाटा ने 1991 में टाटा समूह की कमान संभाली और इसके बाद से समूह ने लगातार वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाई। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने कई बड़े और महत्वपूर्ण कदम उठाए, जिनमें से एक था जगुआर और लैंड रोवर का अधिग्रहण। इस अधिग्रहण ने दुनिया भर में टाटा समूह को एक वैश्विक खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया। इसके अलावा, 2004 में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) को सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध कराना भी उनके नेतृत्व का एक बड़ा मील का पत्थर था।
रतन टाटा का उद्योग के प्रति समर्पण और समाज सेवा के प्रति उनका झुकाव दोनों ही समान रूप से उल्लेखनीय थे। उनके नेतृत्व में, टाटा समूह ने न केवल व्यापारिक सफलता हासिल की, बल्कि समाज कल्याण के कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर भी ध्यान केंद्रित किया। शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, और पर्यावरण संरक्षण जैसे क्षेत्रों में उनके द्वारा किए गए योगदान को आने वाली पीढ़ियों तक याद किया जाएगा।
टाटा समूह के वर्तमान चेयरमैन, एन. चंद्रशेखरन ने रतन टाटा के निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा, “रतन टाटा मेरे लिए एक मार्गदर्शक, सलाहकार और मित्र थे। उन्होंने हमेशा उत्कृष्टता, नैतिकता और नवाचार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाई। टाटा समूह उनके नेतृत्व में वैश्विक स्तर पर पहुंचा, लेकिन उन्होंने हमेशा यह सुनिश्चित किया कि समूह की नैतिकता और मूल्यों से कोई समझौता न हो।” चंद्रशेखरन ने रतन टाटा के समाज सेवा के प्रति समर्पण को भी याद करते हुए कहा कि उनके द्वारा शुरू की गई कई परियोजनाओं ने शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में गहरा प्रभाव डाला है, जिससे आने वाली पीढ़ियाँ लाभान्वित होती रहेंगी।
रतन टाटा का निधन न केवल टाटा समूह के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी रतन टाटा को श्रद्धांजलि देते हुए कहा, “रतन टाटा जी एक दूरदर्शी व्यवसायी, एक दयालु व्यक्ति और एक असाधारण मानव थे। उन्होंने टाटा समूह को स्थिर और प्रगतिशील नेतृत्व प्रदान किया, लेकिन उनका योगदान केवल बोर्डरूम तक सीमित नहीं था। उनकी विनम्रता, दया और समाज के प्रति अटूट प्रतिबद्धता ने उन्हें लाखों लोगों का प्रिय बना दिया।”
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी रतन टाटा के निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “रतन टाटा एक दूरदर्शी व्यक्ति थे। उन्होंने न केवल व्यापार में बल्कि परोपकार के क्षेत्र में भी अपनी छाप छोड़ी है। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और टाटा समूह के साथ हैं।” उद्योगपति गौतम अडानी ने रतन टाटा को याद करते हुए कहा, “भारत ने एक महान नेता खो दिया है, एक ऐसा दूरदर्शी जिसने आधुनिक भारत की राह को परिभाषित किया। रतन टाटा केवल एक उद्योगपति नहीं थे, बल्कि वे भारत की आत्मा थे, जिनका जीवन और कार्य हमेशा हमारे साथ रहेंगे।”
रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा समूह ने कई क्रांतिकारी कदम उठाए। 2009 में उन्होंने अपनी एक और महत्वाकांक्षी परियोजना को साकार किया जब उन्होंने दुनिया की सबसे सस्ती कार ‘टाटा नैनो’ को भारतीय मध्यम वर्ग के लिए सुलभ बनाया। 1 लाख रुपये की कीमत वाली यह कार नवाचार और सस्ते में गुणवत्ता प्रदान करने का प्रतीक बन गई। हालांकि, टाटा नैनो वाणिज्यिक रूप से बहुत सफल नहीं रही, लेकिन इसने दुनिया भर में सस्ती और टिकाऊ वाहन निर्माण के क्षेत्र में एक नई सोच पैदा की।
रतन टाटा के नेतृत्व में, टाटा समूह ने अपनी परंपरागत धारणाओं को तोड़ा और नवाचार तथा विस्तार के नए क्षेत्रों में कदम रखा। उनके कार्यकाल में टाटा समूह ने दूरसंचार कंपनी टाटा टेलीसर्विसेज की स्थापना की और आईटी क्षेत्र में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज को वैश्विक पहचान दिलाई।
रतन टाटा का जीवन केवल उद्योग और व्यापार तक सीमित नहीं था। वे हमेशा समाज सेवा में गहरी रुचि रखते थे। उन्होंने टाटा ट्रस्ट्स के माध्यम से शिक्षा, स्वास्थ्य, और ग्रामीण विकास के क्षेत्रों में कई महत्वपूर्ण परियोजनाएँ शुरू कीं। इसके अलावा, वे पशु अधिकारों के प्रति भी संवेदनशील थे और विशेष रूप से कुत्तों के अधिकारों के लिए काम करते रहे। टाटा समूह के मुख्यालय बॉम्बे हाउस में उन्होंने सुनिश्चित किया कि यह स्थान आवारा कुत्तों के लिए भी एक सुरक्षित ठिकाना बना रहे।
सोशल मीडिया पर भी रतन टाटा का खासा प्रभाव था। उनके पास ट्विटर (अब X) पर 13 मिलियन से अधिक फॉलोअर्स और इंस्टाग्राम पर लगभग 10 मिलियन फॉलोअर्स थे। वे न केवल भारत के सबसे लोकप्रिय उद्यमी थे, बल्कि उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से अपने विचारों और समाज सेवा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को भी व्यापक जनता तक पहुँचाया।
रतन टाटा का जीवन एक प्रेरणा है। उन्होंने अपने पूरे करियर में न केवल टाटा समूह को नई ऊंचाइयों तक पहुँचाया, बल्कि समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को भी बखूबी निभाया। उनके निधन से भारतीय उद्योग जगत ने एक महान नेता खो दिया है, लेकिन उनकी विरासत हमेशा जीवित रहेगी। उनकी सरलता, विनम्रता और समाज सेवा के प्रति समर्पण आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।
रतन टाटा को 2000 में भारत सरकार द्वारा ‘पद्म भूषण’ और 2008 में ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित किया गया था। उनके योगदान को सिर्फ व्यापार जगत में ही नहीं, बल्कि समाज सेवा और मानवता के क्षेत्र में भी सराहा गया है।
आज उनके निधन के साथ ही एक युग का अंत हो गया है, लेकिन रतन टाटा की जीवन यात्रा और उनके द्वारा स्थापित की गई विरासत आने वाले समय में भी भारत और दुनिया को प्रेरित करती रहेगी।